सीपिया वरन मंगलमय तन,

जीवन-दर्शन वांचते नयन, संस्कृत सूत्रों जैसी अलकें है भाल चंद्रमा का वचपन, हल्के जमुनाये होठों पर दीये की लौ सी मुस्कानें, धूपिया कपोलों पर रोली से शुभम् लिखा चंदरिमा ने, सम्मुख हो तो आरती जगे,सुधि में हो तो चंदन चंदन। सीपिया वरन.........।श्री भारत भूषन।से साभार।

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