तृप्ति वहुत बोझिल होती है,सुन रे मेरे मन, कुछ अतृप्तियों के कारण ही सुंदर है जीवन। ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ आओ उतार फेंक दें मंज़िल की गुलामी, कुर्वान करें जिंदगी चलने के नाम पर।

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