आओ उतार फेंक दें मंज़िल की गुलामी,

कुर्वान करें ज़िंदगी चलने के नाम पर। ॥॥॥ ॥॥ ॥.॥ ॥. वन कृष्ण कर दिये तुमने सारे मोह-भंग, अपनों के दुर्व्यबहार-तुम्हारा धन्यबाद।

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