भारतीय हिंदी साहित्य में वहुत दिन हो गये कोई बड़ी घटना नहीं हुई।लगता है उत्तर आधुनिकता-बादियों की मान्यता कि महा-आख्यानों का युग समाप्त हो गया------की सत्यता हिंदी का आज का लेखक चरितार्थ कर रहा है।शायद विश्व -साहित्य का स्वास्थ्य भी कमोबेश ऐसा ही है,क्योंकि 2020 का नोबेल पुरस्कार एक ऐसी अमेरिकन कवियित्री को मिला है जो 1943 की जन्मना है और लुइस ग्लूक के एक कविता संकलन पर दिया गया जो 2014 मे प्रकाशित हुआ।

हिंदी मे संभवतः उर्वशी के बाद सन्नाटा है।यह स्थिति एक बड़े संकट का संकेत है या उत्तर-आधुनिक उत्तर। यूं भी अव कोई महान रचना की संभावनायें क्या इसलिये नहींहैं कि कोई महान घटना नहीं हो रही ,और वास्तव में महान घटना की संभावना का समय नहीं।

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