भारतीय राजनीति स्वयं अन्याय और अनाचारियों से भरी पड़ी है।कुछ गुन्डों ने स्वयं को वचाने के लिये खुद नेता वन जाने का आसान तरीका अपना कर सारी भारतीय आदर्शबादियों के मुंह पर थूक दिया और समस्त कर्म-सिद्धान्त की तौहीन कर दी।यह काम कांग्रेस के साठ साला शासन में खूब फला फूला और योगी जी के -गुन्डा ध्वंसीकरण के चार साला अभियान के सुपरिणाम,उपस्थित परिस्थितियों में,बहुत सीमित हैं।मैने स्वयं माताओं को-हम तो अपने बेटे को गुण्डा वनायें गे-कहते सुना,जैसे यह भी कैरियर चुनाव का विकल्प हो।क्या यह स्थिति किसी समाज की निम्नतम स्थिति तक गिर जाने का प्रतीक नहीं।क्या नकारात्मक समाज की यह स्वीकृति नहीं।
योगी जी का यूपी -अभियान राष्ट्रीय स्तर पर अपनाये जाने की सर्वोपरि आवश्यकता है।(यद्दपि यह प्रविधि सिर्फ गंदी देह को सुंदर कपड़ों से सजाने के प्रयत्न के वरावर है,फिर भी आवश्यक है।)
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
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