हाथरस.हाथरस.हाथरस-क्या मखौल है।इसी तरह की एक दर्जन के लगभग अन्य घटनाओं का संज्ञान लेने में यह क्षद्म-रूपी नेता(बिरोधी) कहां मर गये हैं।बिशेषकर जहां अपराधी मुस्लिम है।क्या इन वेशर्मों को इतना भेदभाव करते जरा भी शर्म नहीं आती।यह क्या उनके न्याय-प्रियता का द्योतक है।इनको अगर किसी उत्तरदायी पद दे दिया जाय तव क्या इन हरामखोरों से किसी न्याय की उम्मीद की जा सकती है।यह वास्तव में स्वयं अनपढ़,और अपराधी चरित्र के लोग हैं ,इन्हे न्याय,अन्याय नहीं,अपनी घटिया नेतागीरी को और स्थापित करने का गर्हित उद्देश्य छिपा है।देखा जाय तो यह स्वयं दोहरा व्यवहार करने के साफ अपराधी हैं,जिसकी इन्हे सजा मिलनी जरूरी है।

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