सारा भारतीय समाज,भारतीय समस्त प्रशासन तंत्र,सारी भारतीय सरकारी शक्ति एवं दम खम कुल मिलाकर भी एक पूरी तरह असंदिग्ध कत्ली को तुरंत उचित सजा देने मे असमर्थ है।यह लाचारी वहुत गंभीर और ह्रदय-बिदारक हैऔर हमारी ओर व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ कटाक्ष कर रही है।यह समाज कितना क्रूर और साथ ही पंगु,बिकलांग और निष्क्रिय भी कि जान साफ उजाले में ,एक निरपराध,लड़की की लेली जातीहै और हम अदालत की नौटंकी करने के लिये विबश हैं।यह कैसा ब्यंग्य है उस पर जिसकी जान चली गई।क्या कानून में उचित संशोधन करके ऐसी जघन्यता को तुरंत सजा दिलाने का प्रावधान होना ,ऐसे असहिष्णु समाज में, परम आवश्यक नहीं है।

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