हमारी अहिंसा से हम हारे,क्यों कि हम भीषण क्रूर लोगों से लड़ रहे थे।अब हमें उतनी ही

क्रूरता से लड़ना होगा,तैयारी और मानसिकता वनानी होगी,अन्यथा हम फिर हारें गे।संगठित होना अतिरिक्त गारंटी होगी।दार्शनिक स्तर पर बे हारकर भी अपनी हिंसा और क्रूरता से डरायें गे ,जो उनका पुराना तरीका है,उनका शायर कहता है-तुम्हारी हथेली पे जान थोड़ई है.....मतलब तुम कायर हो,हम नहीं।

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