संकल्प को सफलता की अद्भुत परिणति तक ले जाना,योजना को योग्यता के सहयोग से युगान्तकारी योग के युग- परिवर्तन का माध्यम वनाना,साहस को साहसिकता की कल्पांत संभावना वनाना,दुनियां को उसकी दुबिधा से निकाल कर भारत-सापेक्षता प्रदान करना,संपूर्ण विश्व में व्याप्त भारत-वंशियों को भारत की भाव-भूमि से जोड़कर अभूतपूर्व एकता,सौहार्द,सौंदर्य का सृजन करना,आहत,कायर,निराश,भग्न-भारत को उसकी संपूर्ण शक्तियों से परिचित कराना........क्या कोई मोदी जी की इन आकाशीय उपलव्धियों को भुला पाये गा।ऐ भारत ॥ सावधान-पीछे मत मुड़ना,क्यों कि वहां बह खांईं है कि वस आत्महत्या ही विकल्प होगा।
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
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