बिहार-तुम्हें क्या हो गया है।क्या तुम चन्द्रगुप्त मौर्य बाले ही हो.....उज्जैनी-अवन्तिका ने अपने को फिर भी चन्द्रगुप्त विकृमादित्य और कालिदास के अनुरूप कुछ वचा लिया पर बिहार तुम.......एक सजायाफ्ता भ्रष्टाचारी के नवीं फेल बेटे को.......थू।तुमने कुछ नहीं सोंचा,पर तुमने चलो कुछ शर्म की और उनको फिर लाये जो तुम्हे खुशहाली में लाने की कुछ तो कोशिशें करें गें।तुम्हारा वहुत उपकार।मेरा कुछ भी रिस्क पर नहीं फिर भी कल पूरे दिन पता नहीं क्यों मेरा मत्था गरम रहा।
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
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