बिहार-तुम्हें क्या हो गया है।क्या तुम चन्द्रगुप्त मौर्य बाले ही हो.....उज्जैनी-अवन्तिका ने अपने को फिर भी चन्द्रगुप्त विकृमादित्य और कालिदास के अनुरूप कुछ वचा लिया पर बिहार तुम.......एक सजायाफ्ता भ्रष्टाचारी के नवीं फेल बेटे को.......थू।तुमने कुछ नहीं सोंचा,पर तुमने चलो कुछ शर्म की और उनको फिर लाये जो तुम्हे खुशहाली में लाने की कुछ तो कोशिशें करें गें।तुम्हारा वहुत उपकार।मेरा कुछ भी रिस्क पर नहीं फिर भी कल पूरे दिन पता नहीं क्यों मेरा मत्था गरम रहा।

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