अरनव एक बार फिर-स्टेट गवर्नमेंट,महाराष्ट्र।एक संवैधानिक संस्था ।पत्रकार-एक स्तंभ जिसे प्रजातंत्र को उतनी ही जरूरत है जितनी स्टेट सरकार की।और जुडीशियरी..........भी।जब कोई सरकार प्रेस पर आक्रमण करती हैै तो जुडीशियरी को वहुत लापरबाही या ॓सुरक्षित॔ रहने ,करने की चक्करबाजी से मुक्त होना चाहिये।तुम नहीं सही,मौका आने पर कोई पागल भेंड़िया जुडीशियरी को,अरनवाइज़ कर देगा किसी दिन।तुम खुद ही तब कर लेना -सुरक्षित -रखने का यह खिलबाड़,अगर इस लायक छोड़े जाओ।
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
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