यह किसान जिस धमकी शैली में आंदोलन चला रहे हैं,इन्हे यह खुशफहमी है कि यह नेता जो खुद दोगले और झूंठे हैं,इनको ,अपने आकाओं के लिये कुछ दिलवा पायें गें।यह पूरी तरह निराधार है।कोई भी सरकार किसी भी कीमत पर बिरोधियों का एजेंड़ा सफल नहीं होने देगी,और जब सामान्य जन इस सारी हलचल के खिलाफ हो।
यह स्पष्ट होता जा रहा है कि बीजेपी सरकार के प्रस्तावित हर कानून का बिपक्ष बिरोध कर रहा है,ऐसी स्थिति में सरकार तो और भी इन कानूनों को वापस नहीं लेगी।कुछ राजनीतिक पार्टियों के मुखौटे वदलनें में सहायक होने के अतिरिक्त इस पूरे हंगामें का कोई लाभ नहीं होगा।
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
अव सुनाई पड़ रहा है सरकार किसान-आंदोलन को बदनाम कर रही है....।अगर यह सही है तो क्या इसमें जनता की भागीदारी नहीं जिसने भीषण वहुमत से सरकार वनाई है।यह कि सरकार बदनाम कर रही है उन हरामखोरों के द्वारा वनाया गया पर्दा है जिसके पीछे यह लोग चोट्टे धनिक,छद्म कम्यूनल,हारे हताश तिरस्कृत राजनीतिक दल्लों,शाहीनबागीयों,देशद्रोहियों के पापों को छुपाना चाहते हैं।यह सारे अब खुले में आ गये हैं और सारा प्रवुद्ध बर्ग इन्हे चिन्हित कर चुका है।
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