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  11 NOW PLAYING PLAY ALL krishn adhar mishra ke geet krishn adhar
  आओ उतार फेंक दें मंज़िल की गुलामी, कुर्वान करें ज़िंदगी चलने के नाम पर। ॥॥॥ ॥॥ ॥.॥ ॥. वन कृष्ण कर दिये तुमने सारे मोह-भंग, अपनों के दुर्व्यबहार-तुम्हारा धन्यबाद।
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 krishn adhar mishra ke geet
तृप्ति वहुत बोझिल होती है,सुन रे मेरे मन, कुछ अतृप्तियों के कारण ही सुंदर है जीवन। ॥ ॥ ॥ ॥ ॥ आओ उतार फेंक दें मंज़िल की गुलामी, कुर्वान करें जिंदगी चलने के नाम पर।
  अनुभव से है सिद्ध तृषा दो बूंदों की दासी है, प्यासे होते हैं तो लगता सागर पी जायेंगे।