आज दुनियां के देशों में संवंधों को लेकर अभूतपूर्व संकट है।कोरोना से त्रस्त देश,चीन की ओर आंखें तरेर रहे हैं।चीन पागल कुत्ते की तरह कभी इस पर कभी उस पर भौंक रहा है।फ्रांस ने असहिष्णु,जहरीली फुफकारों से लैस मुस्लिम आक्रमकता एवं हिंसा को ललकार दिया है,जिससे दुनियां ,1911-13 शताव्दियों के क्रूसेडी समय में पहुंच गया है।पाकिस्तान ,आधुनिकता और इस्लामिक जेहाद के बीच में खड़ा हांफ रहा है।कुल मिलाकर तीसरे वर्ल्ड वार की संभावनाओं के निकट पहुंची दुनियां निश्चित ही पहले मुस्लिम वैचारिक अधिष्ठान के मानवता रहित पक्ष से दो दो हाथ करने के अधिक निकट है।भविष्य की संभावनाओं को सकारात्मक वनाने में,इस तरह,संपूर्ण विवेकबान तबके को जागरूक रहना है,नहीं तो विनाश संभव है।
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें