विश्व की कई दुष्ट घटनाओं का प्रति-उत्सर्ष देख कर मन कुछ मानव की अच्छाइयों के प्रति आश्वस्त हुआं।अजरबैजान-आर्मीनियां का संघर्ष रूस की मध्यस्थता....विश्वास होता है कि रूस किसी निश्चित परिणति जो उसके अनुकूल हो,की प्रतीक्षा में था इतनी बरबादी तक ।चीन का संयम उसका इरादा है या विवशता -या बिवशता का इरादा-समझ नहीं आ रहा पर बह एक हेकड़ी से लैस देश है जिसकी अकड़ अमेरिका-भारत की युति ने फीकी कर दी,चीन का उद्देश्य-कि कोरोना-विलेन के अपराध- कटघरे से बाहर आना,की पूर्ति के लिये उसने दुनिया को समेटते हुये तनाव के घेरे पैदा किये।उसे मालूम है कि निश्तित हार और अनिश्चित संहार उसे लगभग नष्ट ही कर देगा।इस्लामिक एजेण्डा अपनी रफ्तार पर है,कुछ भी हो सकता है,और दुर्घटनायें ऐतिहासिक स्पीड पकड़ सकतीं है।
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
श्री अहमद पटेल-अत्यंत संतुलित,इस्लामी पूर्वाग्रहों से मुक्त राजनीति,सौम्य,प्रभावी भाषा, गंभीर विमर्ष जैसी वहुत सी विभूतियों के धनी कांग्रेसी का निधन एक सुंदर स्थिति के जनक का अंत है।अव राहुल की गाली-राजनीति के युग में वे असहज और मिसफिट थे।उनको,उनके युग को श्रद्धांजलि।
जवाब देंहटाएंअभी अभी उनके नाम को लेकर कुछ बिचित्र अनुभूति हुई,और ऐसे समस्त नाम इसी शंका के दायरे में आ गये जो अरबी पेट के साथ हिंदू पारंपरिक दिमाक से लैस हैं।यह एक गहरे शातिराना उद्देश्य से किया जाता है,जिससे यह बात लगातार साबित की जा सके कि हिंदू से मुसलमान वनने की प्रक्रिया चल ही रही है और जो भी हिंदू हैं ,मुसलमान वनने की संभावना ऐसे ही है जैसे अहमद पटेल,मुनव्वर राना,मकबूल वट......।