श्री अहमद पटेल-अत्यंत संतुलित,इस्लामी पूर्वाग्रहों से मुक्त राजनीति,सौम्य,प्रभावी भाषा, गंभीर विमर्ष जैसी वहुत सी विभूतियों के धनी कांग्रेसी का निधन एक सुंदर स्थिति के जनक का अंत है।अव राहुल की गाली-राजनीति के युग में वे असहज और मिसफिट थे।उनको,उनके युग को श्रद्धांजलि।
अभी अभी उनके नाम को लेकर कुछ बिचित्र अनुभूति हुई,और ऐसे समस्त नाम इसी शंका के दायरे में आ गये जो अरबी पेट के साथ हिंदू पारंपरिक दिमाक से लैस हैं।यह एक गहरे शातिराना उद्देश्य से किया जाता है,जिससे यह बात लगातार साबित की जा सके कि हिंदू से मुसलमान वनने की प्रक्रिया चल ही रही है और जो भी हिंदू हैं ,मुसलमान वनने की संभावना ऐसे ही है जैसे अहमद पटेल,मुनव्वर राना,मकबूल वट......।
भारत के लिये निकट भूत से( 2014) पीछे नौवीं शताव्दी तक का समय अभिषापित,दुर्भाग्य,लूट,कत्ल,विध्वंस,स्त्री व्यभिचार,वेश्यावृत्ति,उजाड़ और छीना झपटी से भरा रहा।यूं तो विदेशी हुक्मरान पैशाचिक धर्मी थे तो उनके निरंकुश कुकर्मों का भी कोई अन्त नहीं रहा।हजारों महिलाओं से भरे हरम सारे के सारे अपहृत लड़कियों के,जिसको चाहा कत्ल किया और घर ,असबाव,धन सव पर कब्जा।डाउसन ने अपने इतिहास में लिखा-अव(1850) जव इन नवाबों के ऊपर कम्पनी का अंकुश है ,तव ये किसी जघन्यता से नहीं चूकते तो इन्हों ने तव क्या किया होगा जब यह निरंकुश थे।हम कैसे कैसे कुत्सित समय की परवरिश हैं।अव हमें गाली मत दो कि हम नाकारे,कायर,रिश्वती,बेईमान हैं।
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