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  श्री अहमद पटेल-अत्यंत संतुलित,इस्लामी पूर्वाग्रहों से मुक्त राजनीति,सौम्य,प्रभावी भाषा, गंभीर विमर्ष जैसी वहुत सी विभूतियों के धनी कांग्रेसी का निधन एक सुंदर स्थिति के जनक का अंत है।अव राहुल की गाली-राजनीति के युग में वे असहज और मिसफिट थे।उनको,उनके युग को श्रद्धांजलि। अभी अभी उनके नाम को लेकर कुछ बिचित्र अनुभूति हुई,और ऐसे समस्त नाम इसी शंका के दायरे में आ गये जो अरबी पेट के साथ हिंदू पारंपरिक दिमाक से लैस हैं।यह एक गहरे शातिराना उद्देश्य से किया जाता है,जिससे यह बात लगातार साबित की जा सके कि हिंदू से मुसलमान वनने की प्रक्रिया चल ही रही है और जो भी हिंदू हैं ,मुसलमान वनने की संभावना ऐसे ही है जैसे अहमद पटेल,मुनव्वर राना,मकबूल वट......।
  विश्व की कई दुष्ट घटनाओं का प्रति-उत्सर्ष देख कर मन कुछ मानव की अच्छाइयों के प्रति आश्वस्त हुआं।अजरबैजान-आर्मीनियां का संघर्ष रूस की मध्यस्थता....विश्वास होता है कि रूस किसी निश्चित परिणति जो उसके अनुकूल हो,की प्रतीक्षा में था इतनी बरबादी तक ।चीन का संयम उसका इरादा है या विवशता -या बिवशता का इरादा-समझ नहीं आ रहा पर बह एक हेकड़ी से लैस देश है जिसकी अकड़ अमेरिका-भारत की युति ने फीकी कर दी,चीन का उद्देश्य-कि कोरोना-विलेन के अपराध- कटघरे से बाहर आना,की पूर्ति के लिये उसने दुनिया को समेटते हुये तनाव के घेरे पैदा किये।उसे मालूम है कि निश्तित हार और अनिश्चित संहार उसे लगभग नष्ट ही कर देगा।इस्लामिक एजेण्डा अपनी रफ्तार पर है,कुछ भी हो सकता है,और दुर्घटनायें ऐतिहासिक स्पीड पकड़ सकतीं है।
  बिहार-तुम्हें क्या हो गया है।क्या तुम चन्द्रगुप्त मौर्य बाले ही हो.....उज्जैनी-अवन्तिका ने अपने को फिर भी चन्द्रगुप्त विकृमादित्य और कालिदास के अनुरूप कुछ वचा लिया पर बिहार तुम.......एक सजायाफ्ता भ्रष्टाचारी के नवीं फेल बेटे को.......थू।तुमने कुछ नहीं सोंचा,पर तुमने चलो कुछ शर्म की और उनको फिर लाये जो तुम्हे खुशहाली में लाने की कुछ तो कोशिशें करें गें।तुम्हारा वहुत उपकार।मेरा कुछ भी रिस्क पर नहीं फिर भी कल पूरे दिन पता नहीं क्यों मेरा मत्था गरम रहा।
  अरनव एक बार फिर-स्टेट गवर्नमेंट,महाराष्ट्र।एक संवैधानिक संस्था ।पत्रकार-एक स्तंभ जिसे प्रजातंत्र को उतनी ही जरूरत है जितनी स्टेट सरकार की।और जुडीशियरी..........भी।जब कोई सरकार प्रेस पर आक्रमण करती हैै तो जुडीशियरी को वहुत लापरबाही या ॓सुरक्षित॔ रहने ,करने की चक्करबाजी से मुक्त होना चाहिये।तुम नहीं सही,मौका आने पर कोई पागल भेंड़िया जुडीशियरी को,अरनवाइज़ कर देगा किसी दिन।तुम खुद ही तब कर लेना -सुरक्षित -रखने का यह खिलबाड़,अगर इस लायक छोड़े जाओ।
  अर्नव गोस्वामी-चीफ एडिटर रिप. भारत-क्या किसी प्रान्तीय सरकार को इतना तुक्ष होना चाहिये।क्या सरकार खुद के पापों,गलतियों,लापरबाहियों,निष्क्रियताओं, को बताने वालों के साथ शत्रुता पर,वह भी व्यक्तिगत स्तर पर उतर कर, एक स्ट्रीट गुंडे की भूमिका में आ सकती है।जब दाऊद इब्राहीम अपने साम्राज्य का,आतंकबाद का बिस्तारपूरी तरह गैरकानूनी तरीके से इसी महाराष्ट्र में दशकों तक करता रहा तब यह कांग्रेस सरकार और यह गन्ना माफिया -पबार क्या कर रहा था।यह ह्रदयबिदारक है कि एक राष्ट्रबादी चैनेल के चीफ एडिटर को प्रताड़ित किया जाय।
  हरियाणा-मनोहरलाल खट्टर,अनिल विज-क्या तुम लोगों को तुम्हारी नाक के नीचे होने वाले इस्लामिक कुकृत्यों की खवर तब लगे गी जब कोई न्यूज़ नेशन उसको हिमालय की चोटी से चीख कर बताये गा।तुम अपनी निष्क्रियता पर मेवात जाकर जश्न मनाओं ,चूतियों।लानत है तुम्हारे हिंदू होने पर और तुम्हारी कायर पुलिस पर।
  फ्रांस-द ग्रेट नेपोलियन बाला,फ्रेंच रेवोल्यूशन बाला,दो विश्व युद्धों में प्रत्यक्ष जूझने बाला,ओलिवर-विल्बर बन्धुओं के पहले एयर प्लेन बाला......।नेपोलियन ने जब बहुत सीमित सेना लेकर इजिप्ट की मुस्लिम दर्प से लदी विशाल सेना को वस कुछ ही देर में परास्त कर दिया......इजिप्ट ने महसूस किया....बे व्यर्थ ही खुद को इस्लामी दर्प के झूठे कोहरे में उलझे थे।कैरो यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर ने लिखा-अव हम फ्रेन्च आर्मी की संगठित सेना,उनकी जीवन -शैली ही नहीं उनके कैवरे न्ृत्य भी पसंद करने लगे थे।.....क्या तब से जमाना और बड़े अंतर पर नहीं आ गया है।क्या टर्की एण्ड कम्पनी आत्म-हत्या की ओर नहीं बढ़ रहे।भारत में भी देश-घातक तवका जो अवतक मुखौटे ओढ़े था उघड़ गया है और उसके राक्षसी दांत दिख गये हैं।अतः ऐ भारत सावधान-यू आर ऐट सीरियस रिस्क।
  भारत विभिन्न धर्मों की प्रयोगशाला है,इसका कारण यहां पनपी सर्व-कल्याणकारी सनातन-धर्मी संस्कृति है जिसमें कोई सामूहिक धर्म-शत्रु नहीं है।इस संस्कृति के कारण यहां निर्बाध वैचारिक स्वतंत्रता और दूसरी मज़हबी असहिष्णुता का भी समावेश जारी रहा,पिछले बारह सौ सालों से।परंतु जिस तरह किसी स्वस्थ -उसी लकड़ी को कोई आग जलाकर राख कर देती है ,जिस पर उसका वजूद कायम है,उसी तरह जिन सेमेटिक धर्मों को भारत की सनातन -संस्कृति ने पनपने का वातावरण प्रदान किया,इन सेमेटिकों नें उसी संस्कृति को खत्म करने की हिंसात्मक कोशिश की ,जिसमें बे सफल भी रहे और जो आज भी जारी है।